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पौड़ी गढ़वाल जिला
जंगल की आग गांवों के नजदीक पहुंची
Posted on 11 May, 2019 03:38 PMउत्तराखंड जंगल तेजी से धधकने लगे हैं पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक के तमाम जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वन महकमे को पसीने छूट रहे हैं। अब तो आग गांवों के नजदीक तक पहुंचने लगी है। पौड़ी व रुद्रप्रयाग जिलों के विभिन्न गांवों के जंगलों के सुलगने से लोग भयभीत हैं। श्रीनगर में एसएसबी की फायरिंग रेंज से लगे जंगल तक आग पहुंची है तो नैनीताल में आर्य भट्ट प्रेक्षण शोध संस्थान (एरीज) और चंपावत मे
उत्तराखंड: जंगल आग से धधकने लगे
Posted on 08 May, 2019 01:40 PMपारा चढ़ने के साथ ही प्रदेश के जंगल आग से धधकने शुरू हो गए हैं। मंगलवार को प्रदेश में कितनी जगह जंगल में आग लगी, इसको लेकर वन विभाग और भारतीय वन सर्वेक्षण के आंकड़े अलग-अलग हैं। वन विभाग के अनुसार, मंगलवार को 24 जगहों में आग लगी हैं। जबकि भारतीय वन सर्वेक्षण ने 89 जगह आग लगने की सूचना वन विभाग को दी है। वह आपदा प्रबंधन के नोडल अधिकारी व मुख्य वन संरक्षक पीके सिंह ने बताया कि गढ़वाल व कुमाऊं क्षेत्
जंगल की बात या हाथी के दाँत
Posted on 08 Oct, 2018 02:23 PMगुरुचरन- कुनाऊ चौड़ (जिला पौड़ी गढ़वाल) सेः पीढ़ी-दर-पीढ़ी जंगलों में विचरने वाले पशु पालकों को ‘वन गूजर’ या ‘जंगल गूजर’ के रूप में पुकारा जाता है। ये किस जंगल में कब तक रहेंगे, उसके बाद किस जंगल में जाएँगे, ये सब पहले से तय रहता था। ये जंगलों में यूँ ही नहीं विचरते थे। जंगलों में रहने के लिये ये एक नियत राशि अदा करके परमिट हासिल करते थे। पूर्वजों की ब्रिटिश काल की रसीदें इनके पास आज भी हैं।
पहाड़ पर हरियाली की वापसी
Posted on 02 Dec, 2014 12:55 PMलोग जैसे अपने खेतों की देखभाल करते हैं उसी तरह जंगल की देखभाल करने लगे। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। दो-तीन सालों में ही सूखे जंगलों में फिर से हरियाली लौटने लगी। बांज, बुरास, काफल के पुराने ठूंठों पर फिर नई शाखाएं फूटने लगीं। अंयार, बंमोर, किनगोड हिंसर, सेकना, धवला, सिंसाआरू, खाकसी आदि पेड़-पौधे दिखाई देने लगे। और आज ये पेड़ लहलहा रहे हैं।
जो काम सरकार और वन विभाग नहीं कर पाया वह लोगों ने कर दिखाया। उन्होंने पहाड़ पर उजड़ और सूख चुके जंगल को फिर हरा-भरा कर लिया और वहां के सूख चुके जलस्रोतों को फिर सदानीरा बना लिया। यह गांव अब पारिस्थितिकी वापसी का अनुपम उदाहरण बन गया है।
और यह है उत्तराखंड की हेंवलघाटी का जड़धार गांव। सीढ़ीदार पहाड़ पर बसे लोगों का जीवन कठिन है। अगर पहाड़ी गांव के आसपास पानी न हो तो जीवन ही असंभव है। और शायद इसी अहसास ने उन्हें अपने पहाड़ पर उजड़े जंगल को फिर से पुनर्जीवित करने को प्रेरित किया। यह ग्रामीणों की व्यक्तिगत पहल और सामूहिक प्रयास का नतीजा है। अब यह प्रेरणा का प्रतीक बन गया है।
हरी वादियों का चितेरा
Posted on 06 Aug, 2010 01:49 PMअस्सी के दशक की शुरुआत से ही एक अकेले व्यक्ति के शांत प्रयासों ने ऐसे ग्रामीण आंदोलन की नींव रखी जिसने उत्तराखंड की बंजर पहाड़ियों को फिर से हराभरा कर दिया। सच्चिदानंद भारती की असाधारण उपलब्धियों को सामने लाने का प्रयास किया संजय दुबे ने।