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जल संसाधन स्रोत की दूरी और जलापूर्ति प्रणाली का आकार
Posted on 11 Oct, 2008 09:09 AM परिकल्पना: किसी गांव/शहर/महानगर की आबादी जितनी अधिक होती है, पेयजल स्रोत से उसकी दूरी उतनी ही अधिक होती है। कारण: बड़े शहरों और महानगरों में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर निवेश अधिक होता है। ऐसे में उम्मीद की जाती है वहां पेय जल शोधन और आपूर्ति व्यवस्था अधिक निवेश हुआ होगा। इसके अलावा पेय जल की उनकी भारी जरूरत को बड़े जल स्रोत से पूरा किया जाता है।
लैंगिक स्थिति और पेय जल की चिंताएं
Posted on 11 Oct, 2008 09:02 AM परिकल्पना: महिलाएं पानी की कमी को पुरुषों से कहीं अधिक गंभीर पर्यावरणीय समस्या के रूप में देखती हैं। कारण: तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की कई तरह की बहुस्तरीय पर्यावरणीय चिंताएं होती हैं। ये चिंताएं उनसे और उनके संबंधियों के जीवन पर पड़ने वाले असर से संबंधित है। यह मान कर चला जाता है कि परिवार में पीने के पानी की जिम्मेदारी महिलाओं की है। परिवार के स्वास्थ्य की अधिक जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर होती है। ऐसे में उम्मीद की जाती है कि महिलाओं में पानी के कमी के प्रति चिंता कहीं अधिक होती है।
जल का शोधन और घर का बजट
Posted on 11 Oct, 2008 08:56 AM परिकल्पना: पेय जल के शोधन में तकनीक का बेहतर होने से पीने के पानी पर एक घर का प्रतिव्यक्ति खर्च बढ़ जाता है। कारण: लोगों का अपने पर्यावरण की रक्षा के प्रति जागरुक होकर उसके लिए कार्य करने का संबंध उनकी आर्थिक स्थिति से है। ऐसे में इसकी लागत के बारे में आंकड़े जुटाना उपयोगी होगा।
जल शोधन और जलापूर्ति प्रणाली का आकार
Posted on 11 Oct, 2008 08:53 AM परिकल्पना: किसी गांव/शहर/महानगर की जनसंख्या जितनी होती है, वहां की पेय जलापूर्ति प्रणाली में तकनीक का इस्तेमाल उतना ही अधिक होता है। कारण: बड़े शहरों और महानगरों में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर निवेश अधिक होता है। ऐसे में उम्मीद की जाती है वहां पेय जल शोधन और आपूर्ति व्यवस्था में कहीं बेहतर तकनीक का इस्तेमाल होगा।
जल शोधन और आर्थिक स्थिति
Posted on 11 Oct, 2008 08:45 AM परिकल्पना: पेयजल के शोधन में बेहतर तकनीक का संबंध घरों में हर सदस्य को उपलब्ध स्थान से संबंध होता है। कारण: यह जांचना महत्वपूर्ण है कि क्या गरीबों को पीने का साफ़ पानी नहीं मिल पा रहा है। किसी परिवार की आर्थिक स्थिति मापने के लिए घर में प्रति सदस्य उपलब्ध स्थान अच्छा मापदंड हो सकता है। ऐसे में इन दोनों कारकों की तुलना की जा सकती है।
जल शोधन और स्वास्थ्य
Posted on 11 Oct, 2008 08:40 AM परिकल्पना: पाइप से घरों में आने वाले पीने के पानी में शोधन के स्तर पर तकनीक का इस्तेमाल के स्तर से परिवार में पेट की बीमारियां होने का खतरा बढ़ता है। कारण: तकनीक के इस्तेमाल के आधार पर पानी के विभिन्न स्रोतों का इस प्रकार क्रम बनाया जा सकता है। यह क्रम है तालाब, झील, झरना, नदी, खुला कुआं, बोर कुआं, पाइप जलापूर्ति, एक्वागार्ड और बिसलेरी जैसा बोतलबंद पानी। तकनीक का इस्तेमाल स्वास्थ्य प
जल शोधन और पानी की गुणवत्ता
Posted on 11 Oct, 2008 08:35 AM परिकल्पना: शोधन में उच्च प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से पानी में अति सूक्षम कणों की मात्रा घटती है। कारण: तकनीक के इस्तेमाल के आधार पर पानी के विभिन्न स्रोतों का इस प्रकार क्रम बनाया जा सकता है। यह क्रम है तालाब, झील, झरना, नदी, खुला कुआं, बोर कुआं, पाइप जलापूर्ति, एक्वागार्ड और बिसलेरी जैसा बोतलबंद पानी। तकनीक का इस्तेमाल स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने वाले कोलीफार्म जैसे अति सूक्ष्म पदार
तटीय प्रदूषण की प्रवृत्तियां
Posted on 11 Oct, 2008 08:32 AM परिकल्पना: पिछले पांच सालों में पानी में तेल का स्तर इसके पांच सालों के मुकाबले कहीं अधिक बढ़ा है। कारण: वैश्विक रूप से तेल की खपत और समुद्र में तेल टैंकरों की आवाजाही बढ़ती जा रही है। दुर्घटनाओं और समुद्र में तेल बिखरने की घटनाओं में बढ़ोतरी से तेल का स्तर और अधिक बढ़ने की आशंका है।
व्यवसाय और तटीय प्रदूषण पर चिंताएं
Posted on 11 Oct, 2008 08:22 AM परिकल्पना: नदी में गिरने वाले तैलीय पदार्थों का तटीय इलाकों के मछुआरों के जीवन पर अन्य समुदायों के मुकाबले कहीं अधिक असर पड़ता है।कारण: विभिन्न स्थानों पर रहने वाले लोगों की पर्यावरणीय प्रदूषण के प्रति उनकी चिंताओं का स्तर भी अलग-अलग होता है। यह उनके जीवन पर पड़ने वाले असर पर निर्भर करता है। ऐसे में शहरी लोग ट्रैफिक जाम से अधिक चिंतित होते हैं।
मत्स्य विविधता और औद्योगिक प्रदूषण
Posted on 11 Oct, 2008 08:15 AM परिकल्पना:
नदी में कागज मिल से गिरने वाले उत्सर्जन की दिशा में मछलियों की संख्या धारा की विपरीत दिशा के मुकाबले कम होती है।
कारण:
मिलों या अन्य औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले उत्सर्जन जलचर जीवों के जीवन पर कई तरह से असर डालते हैं। कुल मिलाकर इसका असर यह होगा कि बहुत कम प्रजातियां बदली हुई परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढ़ाल सकेंगी।
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