भारत

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राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों के भीतर भी प्रदूषण का खतरा
Posted on 26 Mar, 2018 05:16 PM

एक ही मार्ग पर अलग-अलग वाहनों, जैसे- बसों, गैर-वातानुकूलित वाहनों और वातानुकूलित कारों के भीतर पीएम-2.5, क

वायु प्रदूषण
घट रहा है पानी
Posted on 26 Mar, 2018 11:50 AM
पानी की 80 प्रतिशत से ज्यादा जरूरतें हम भूजल से ही पूरी करते हैं, लेकिन इनका
water level degradation
आर्कटिक में बेतहाशा बढ़ रहा तापमान
Posted on 25 Mar, 2018 03:50 PM


जलवायु परिवर्तन के बारे में हम सभी लम्बे समय से सुनते आ रहे हैं कि इससे तापमान में बढ़ोत्तरी हो रही है।

विज्ञानी समय-समय पर शोध कर बता चुके हैं कि तापमान में किस रफ्तार से इजाफा होगा, लेकिन हाल ही में ऐसे तथ्य सामने आये हैं, जिनसे विज्ञानियों की पेशानी पर बल आ गया है।

आर्कटिक
प्राकृतिक पर्यावरण का अवक्रमण
Posted on 25 Mar, 2018 03:26 PM

बीस लाख वर्ष पूर्व जब मानव का उद्भव हुआ था, तब प्राकृतिक संसाधन मानव की जरूरतों को देखते हुए प्रचुर मात्र में उपलब्ध थे। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ी, अत्यधिक मात्रा में भोजन तथा आश्रय के लिये संसाधनों की जरूरत पड़ी और तब इन्हें पर्यावरण से अधिकाधिक रूप से प्राप्त किया गया। इस पाठ में आप जानेंगे कि मानव क्रियाकलापों के चलते किस प्रकार से प्राकृतिक संसाधनों का अवक्रमण हुआ और जो अब समाप्ति के कगार पर
पर्यावरण और मानव समाज
Posted on 23 Mar, 2018 12:45 PM

मानव जाति (होमो सेपिएंस) का उद्भव लगभग पच्चीस लाख वर्षों से भी अधिक समय पूर्व हुआ था। उनमें मस्तिष्क अत्यंत विकसित होने के कारण वे सोचने की क्षमता रखते थे और अपने निर्णयों का उपयोग करते थे। मानव ने दो पैरों पर सीधे खड़े होकर चलना शुरू किया जिसके कारण उनके हाथ अपने शारीरिक कार्य करने के लिये स्वतंत्र हो गये।
स्वास्थ्य क्षेत्र में कई नई पहल
Posted on 22 Mar, 2018 05:06 PM

स्वास्थ्य का क्षेत्र हमेशा से आम बजट में हाशिए पर रहा है लेकिन मौजूदा केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये कई नई और अपूर्व पहल की गई है। इसमें ‘आयुष्मान भव’ स्वास्थ्य के क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़ी योजना है, जिसमें 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी के साथ आइएसवीवाई में बढ़ोतरी से स्वास्थ्य पर होने वाला अत्यधिक खर्च कम होने की सम्भावना
जल के लिये प्रकृति के आधार पर समाधान
Posted on 22 Mar, 2018 01:40 PM

विश्व जल दिवस, 22 मार्च 2018 पर विशेष

हम अपने परम्परागत जलस्रोत को भूलाते जा रहे हैं
जलसंकट के भंवर में भारत
Posted on 21 Mar, 2018 12:56 PM


लिओनार्दो दा विंची की एक उक्ति है-
पानी पूरी प्रकृति की संचालक शक्ति है।

लिओनार्दो कोई वैज्ञानिक नहीं थे। न ही वह कोई पर्यावरण विशेषज्ञ थे। वह पानी को लेकर काम करने वाले एक्सपर्ट भी नहीं थे।

जल संकट
युद्ध और शान्ति के बीच जल
Posted on 20 Mar, 2018 06:11 PM
प्रख्यात पानी कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह के वैश्विक जल अनुभवों पर आधारित एक शृंखला

विश्व जल दिवस, 22 मार्च 2018 पर विशेष


यह दावा अक्सर सुनाई पड़ जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध, पानी को लेकर होगा। मुझे हमेशा यह जानने की उत्सुकता रही कि इस बारे में दुनिया के अन्य देशों से मिलने वाले संकेत क्या हैं? मेरे मन के कुछेक सवालों का उत्तर जानने का एक मौका हाल ही में मेरे हाथ लग गया। प्रख्यात पानी कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह, पिछले करीब ढाई वर्ष से एक वैश्विक जलयात्रा पर हैं। इस यात्रा के तहत वह अब तक करीब 40 देशों की यात्रा कर चुके हैं। यात्रा को 'वर्ल्ड पीस वाटर वाॅक' का नाम दिया गया है। मैंने राजेन्द्र सिंह से निवेदन किया और वह मेरी जिज्ञासा के सन्दर्भ में अपने वैश्विक अनुभवों को साझा करें और वह राजी भी हो गए। मैंने, दिनांक 07 मार्च, 2018 को सुबह नौ बजे से गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान के कमरा नम्बर 103 में उनसे लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं राजेन्द्र सिंह जी से हुई बातचीत के कुछ महत्त्वपूर्ण अंश
जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के साथ लेखक अरुण तिवारीजलपुरुष राजेन्द्र सिंह के साथ लेखक अरुण तिवारीइस वक्त जो मुद्दे अन्तरराष्ट्रीय तनाव की सबसे बड़ी वजह बनते दिखाई दे रहे हैं, वे हैं - आतंकवाद, सीमा विवाद और आर्थिक तनातनी। निःसन्देह, सम्प्रदायिक मुद्दों को भी उभारने की कोशिशें भी साथ-साथ चल रही हैं। स्वयं को राष्ट्रवादी कहने वाली ताकतें अपनी सत्ता को निवासी-प्रवासी, शिया-सुन्नी, हिन्दू-मुसलमान जैसे मसलों के उभार पर टिकाने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में यह कथन कि तीसरा विश्व युद्ध, पानी को लेकर होगा; आगे चलकर कितना सही साबित होगा?
Arun tiwari and Rajendra singh
पृथ्वी का उद्भव और पर्यावरण का विकास
Posted on 20 Mar, 2018 03:54 PM

हम एक बहुत ही सुंदर ग्रह पर रहते हैं, जो पृथ्वी के नाम से जाना जाता है। यह ग्रह पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों तथा अन्य जीवों का भी निवास है। हमारी पृथ्वी एक विशाल ब्रह्मांड का एक भाग है। यह ब्रह्मांड लगभग पंद्रह से बीस अरब वर्ष पुराना है। पृथ्वी की आयु लगभग 4 से 5 अरब वर्ष है, जबकि मानव का आविर्भाव कोई 20 लाख वर्ष पहले हुआ था। इस पाठ का अध्ययन करने के बाद आप जानेंगे कि पृथ्वी का उद्गम कैसे हुआ, उ
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