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मवेशियों का खून पीते हैं पिशाच चमगादड़ बदले में देते हैं रेबीज बीमारी
Posted on 04 Apr, 2019 08:42 AM

भारतीय ग्रन्थों, साहित्यों व कहानियों में पिशाचों (वैम्पायर्स) का कई प्रारूपों में उल्लेख मिलता है। यही नहीं फिल्मों व टेलीविजन के कई सीरियल्स में भी खून पीने वाले पिशाचों को अनोखे अन्दाज व डरावने रूपों (ड्रैकुला,चुड़ैल,भूत, राक्षस, चमगादड़ इत्यादि) में अक्सर दिखाया जाता है। लेकिन विज्ञान में इनका कोई स्थान नहीं है। परन्तु प्राणी-जगत में ऐसे भी स्तनधारी जीव हैं जो अपनी क्षुधा को शान्त करने के लिय

पिशाच चमगादड़ की अनोखी बनावट
नदी तंत्र पर मानवीय हस्तक्षेप और जलवायु बदलाव का प्रभाव
Posted on 16 Mar, 2019 06:09 AM

आदिकाल से नदियाँ स्वच्छ जल का अमूल्य स्रोत रही हैं। उनके जल का उपयोग पेयजल आपूर्ति, निस्तार, आजीविका तथा खेती इत्यादि के लिये किया जाता रहा है। पिछले कुछ सालों से देश की अधिकांश नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह में कमी हो रही है, छोटी नदियाँ तेजी से सूख रही हैं और लगभग सभी नदी-तंत्रों में प्रदूषण बढ़ रहा है। यह स्थिति हिमालयीन नदियों में कम तथा भारतीय प्रायद्

नदी तंत्र
कोयल कमाल के शातिर चालाक व बर्बर परिंदे
Posted on 16 Mar, 2019 05:12 AM महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य के कथनानुसार जो ज्यादा ही अधिक मीठा बोलता है वो अक्सर भरोसेमन्द नहीं होता। ऐसे लोग प्राय: आलसी, कामचोर, चालाक व धूर्त प्रवृत्ति के होते हैं। वहीं इनकी शारीरिक भाषा एवं आँखों की पुतलियों की हरकत भी अलग सी होती है।
एशियन मादा कोयल
अंधेरे गाँवों को रोशन करने का काम
Posted on 14 Mar, 2019 01:00 PM

मैं पटना में पली बढ़ी। इसके बावजूद ग्रामीण भारत की समस्याओं को मैं गहराई से समझती हूँ। वर्ष 2014 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से सामाजिक उद्यमिता में मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद मैं इंटर्नशिप करने के लिये मध्य प्रदेश में झाबुआ के एक गाँव में चली गई। झाबुआ की उस यात्रा ने मेरी आँखें खोल दी। वहाँ के जिस गाँव में मैं गई, वहाँ किसी घर में शौचालय नहीं था और न ही बिजली थी। इस का

Electricity
महुआ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सदाबहार पोषक
Posted on 27 Feb, 2019 06:16 PM वनस्पति जगत में ऐसे पेड़-पौधे बहुत कम हैं जिनका हर भाग व अंग जैसे तना, छाल, पत्तियाँ, फूल, फल व बीज किसी-न-किसी रूप में न केवल इंसानों के बल्कि विभिन्न प्रजाति के जीव-जन्तुओं के लिये बहु उपयोगी होते हैं।
महुआ पेड़ की पत्तियाँ
कैनवास पर प्रकृति के रंग
Posted on 23 Feb, 2019 05:49 PM
प्रकृति तब सबसे अधिक सुन्दर दिखती है, जब फिजा में बसन्ती हवा की खुशबू फैलने लगती है और पेड़-पौधें यहाँ तक कि हर एक पत्ता अलमस्त धूप में खिलखिलाने लगता है। तभी तो चित्रकार की कूची सबसे अधिक बसन्त ऋतु में ही प्रकृति के चित्र उकेरती है…
दृश्य चित्रण
कला का बदलता स्वरूप
Posted on 22 Feb, 2019 05:18 PM

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (फोटो साभार - द टेलीग्राफ)वन्यजीवों व पर्यावरण को लेकर सरकारी तंत्र की गम्भीरता जगजाहिर है। इस देश ने ‘विकास’ के लिये वन्यजीवों व पर्यावरण के साथ खिलवाड़ हर दौर में देखा है और अब भी गाहे-ब-गाहे दिख ही जाता है।

देवलालीकर
राष्ट्रीय जल स्वास्थ्य मिशन
Posted on 18 Feb, 2019 05:26 PM

इनरेम फाउंडेशन द्वारा नीति आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई मिशन की एक झलक

मुख्य बिंदु:

- पानी की खराब गुणवत्ता और उससे पैदा होने वाली बीमारियों से लड़ने के लिये एक राष्ट्रीय कार्यक्रम

फ्लोरोसिस
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