Posted on 07 Jul, 2016 12:24 PM जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया पर मँडराते संकट को नकारा नहीं जा सकता। यह भी सच है कि आज ग्लेशियरों के अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन के चलते हो रही तापमान में बढ़ोत्तरी के परिणामस्वरूप भयावह संकट मँडरा रहा है। नतीजन वे पिघल रहे हैं। सबसे बड़ी दुखदाई और खतरनाक बात यह है कि उनके पिघलने की रफ्तार दिनोंदिन तेजी से बढ़ती ही जा रही है।
Posted on 05 Jul, 2016 04:23 PM पोटेशियम ब्रोमेट एक ऐसा रसायन है, जिसके कारण इंसान में पेट का कैंसर, गुर्दे में ट्युमर, थायोराइड सम्बन्धी असन्तुलन तथा तंत्रिका तंत्र सम्बन्धी बीमारियाँ होने की सम्भावना रहती है। इसे कैंसर सम्भावित रसायनों की 2बी श्रेणी में रखा गया है। पोटेशियम आयोडेट से थायोरायड सम्बन्धी असन्तुलन पैदा होने का खतरा होता है; बावजूद इन ज्ञात खतरों के भारत में पोटेशियम ब्रोमेट का इस्तेमाल बेकरी उत्पादों को ज्यादा मुलायम, ताजा और दिखने में बेहतर बनाने के लिये किया जाता रहा है।
भारतीय निर्माता कम्पनियाँ अब तक तर्क देती रहीं कि अन्तिम तैयार बेकरी उत्पाद में पोटेशियम ब्रोमेट के अंश मौजूद नहीं होते। नई दिल्ली स्थित सीएसई नामक एक गैर सरकारी संस्था ने इस तर्क का झूठ सार्वजनिक कर दिया। उसने बाजार से बेकिंग उत्पादों के तैयार नमूने उठाए; उनकी जाँच की और बताया कि 84 प्रतिशत नमूनों में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट मौजूद हैं।
Posted on 04 Jul, 2016 04:34 PM आखिरकार फिल्मों में भी तो जीवन ही प्रतिबिम्बित होता है। जीवन में जब पानी का संकट है, तो फिल्में उससे कैसे बच सकती हैं? हिन्दी फिल्मों में पानी पर बेहद खूबसूरत दृश्य फिल्माए गए हैं, साथ ही पानी के संकट पर चिन्ता भी मुखर हुई है।
Posted on 04 Jul, 2016 03:31 PM पानी सिर्फ पानी नहीं है। वह एक औषधि भी है। इसीलिये उसे अमृत कहा जाता है। प्राकृतिक जल-चिकित्सा पानी के इसी गुण पर आधारित है। इसमें पानी का इस्तेमाल कैसे किया जाये इस पर जोर दिया जाता है ताकि वह औषधीय रूप में रोगों से हमारी रक्षा करे। पानी का ठीक से उपयोग इसी विचार का हिस्सा है।
हवा के बाद पानी का हमारे जीवन में दूसरा महत्त्वपूर्ण स्थान है। बिना हवा और पानी के हम जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारे शरीर में भी पानी की मात्रा लगभग 70 प्रतिशत है। हमारा शरीर और यह ब्रम्हांड पंचमहाभूतों अर्थात पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश से बना है अर्थात हमारे जीवन में जल का महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता है।
सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम अनेकानेक रूपों में जल का प्रयोग करते हैं, चाहे वह बाहरी रूप से हो या आन्तरिक रूप से। दैनिक स्नान से लेकर पानी पीने तक हम हमेशा जल के सम्पर्क में रहते हैं, पर क्या कभी आपने सोचा है कि यही जल हमारे लिये ‘संजीवनी’ का काम कर सकता है? हमारे रोगों के निवारण में हमारी मदद कर सकता है और इतना ही नहीं कई रोगों से हमारा बचाव भी कर सकता है।