विष्णुचंद्र शर्मा

विष्णुचंद्र शर्मा
छत्तीसगढ़ में एक यात्री कवि
Posted on 06 Jan, 2015 02:54 PM
एक
बागबाहरा की उस
रात में
चाँद नाखूनी था
तारों के बीच बस
शुक्र हंसमुख

बागबाहरा के
घर को जब छोड़ रहा था
माँ थी कर्मठ वहाँ
पिता ने दिखाये थे
स्वर्णा, मासूरी और महामाया धान के
खेत
भाइयों ने
अंतरंगता की
एक फिल्म छोड़ दी थी
दिल-दिमाग में मेरे

मैं उसी घर को
भीतर बसाये हुए
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