विनोद कुमार शुक्ल
विनोद कुमार शुक्ल
इतिहास की एक नदी को
Posted on 04 Oct, 2013 04:02 PMइतिहास की एक नदी कोएक बिछुड़े लोगों के शहर के किनारे
मैंने पाया कि गंगा है
गंगा नदी का अवशेष, जल-खँडहर।
बाढ़ आई होगी के बाद
बिछुड़े लोगों के एक शहर में
मिल जाने वाले रास्ते
खो जाने वाले रास्ते हैं।
बिछुड़ों को ढूँढ़ने
मैं इन्हीं खो जाने वाले रास्तों में हूँ
जो नहीं मिले थे
उनको पाने
स्वयं अपने नहीं मिलने में
नदी के कुछ अदृश्य खँडहर हैं जलवाष्प
Posted on 02 Oct, 2013 04:26 PMनदी के कुछ अदृश्य खँडहर हैं जलवाष्पइतिहास की नदी हैं, गंगा, ब्रह्मपुत्र, जमुना, व्यास
एक मनुष्य नदी में स्नान करता है
यह सभ्यता है
नदी के किनारे एक स्त्री कपड़े धोती है
यह सभ्यता है
एक मृत लड़का नदी में
संस्कार की तरह
प्रवाहित होता है
बरसात नदी के खँडहर का दृश्य है
जहाँ नदी नहीं है
बरसात में भीगना पर्यटन है।
एक सूखी नदी
Posted on 02 Oct, 2013 04:23 PMएक सूखी नदीदूसरे वर्ष भी सूखी रही
तो रेत के बहुत नीचे
वह और सूक जाएगी,
सूखी नदी के नीचे
सूखी नदी की परतें हैं।
कई वर्षोंसे ऐसी सूखी नदी के
किनारे के गाँव में
जैसे अंततः रहता हुआ
गाँव का सबसे बूढ़ा आदमी
नदी की रेत की तह से
आखिरी में ढूँढ़ लेगा
एक पारदर्शी फॉसिल शिला
जिसमें चिन्हित होगी
नदी की वनस्पति
नदी इस किनारे केवल
Posted on 02 Oct, 2013 04:19 PMनदी इस किनारे केवलया केवल उस किनारे
या मँझधार ही पूरी वह
प्यार में नदी समझ में नहीं आती
नदी में भीगने से
लगता है
बरसात में भीगा
बिना छाता लिए
जब कभी टहलने निकला।
बाढ़ में डूबी उलटी नाव की
छत के नीचे
हमारा घर बसा है।