Posted on 20 Jun, 2011 10:20 AMभारतीय संस्कृति और अध्यात्म की प्रतीक पावन गंगा की अविच्छिन्न धारा में रुकावट और प्रदूषण की जिस समस्या से निजात दिलाने के लिए सफाई के नाम पर हजारों करोड़ खर्च कर दिए गए और इतना ही खर्च करने की योजना है, उसी समस्या के चलते निगमानंद जैसे संत को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। निश्चित रूप से इस घटना ने गंगा सफाई अभियान और इसके इर्द गिर्द अवैध खनन से आने वाले समय में जो स्थिति उत्पन्न होने वाली है, उसक