उमेश कुमार राय

उमेश कुमार राय
भूजल का दोहन करती एक योजना
Posted on 10 Mar, 2017 04:15 PM

फार्म पांड स्कीम लाया गया था, तो इसका उद्देश्य ही था बारिश के
सिक्किम सिखा रहा स्प्रिंग्स सहेजना
Posted on 10 Mar, 2017 12:06 PM

पूर्वोत्तर हिमालय में लगभग 7096 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला सिक्किम वैसे तो है बहुत छोटा राज्य, लेकिन इस छोटे राज्य ने स्प्रिंग्स को सहेजने के लिये जो बड़ा काम किया है, उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है। सिक्किम ने स्प्रिंग्स को सहेजकर अपने लोगों के लिये पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कर दी है। मजेदार बात यह है कि सिक्किम ने सरकारी योजनाओं के बूते ही स्प्रिंग्स (धारा) को संरक्षित कर लिया है। सरकारी योजनाओं के सम्बन्ध में अक्सर कहा जाता है कि इसमें लूटखसोट होती है व इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि सिक्किम ने इस मिथक को भी तोड़ा है।

सिक्किम की आबादी 5 लाख 40 हजार है। यहाँ के गाँवों में रहने वाली आबादी का 80 प्रतिशत (65000) हिस्सा पीने व अन्य जरूरतों के लिये स्प्रिंग्स के पानी पर निर्भर है। इससे समझा जा सकता है कि स्प्रिंग्स यहाँ के लिये कितना जरूरी है, लेकिन रख-रखाव के अभाव व स्प्रिंग्स को बचाने की कोई मजबूत व दूरदर्शी योजना नहीं होने के कारण यहाँ के स्प्रिंग्स बेहद दयनीय हालत में पहुँच गए थे।
मेल्ली गाँव की धारा
वाराणसी के घाटों को नवजीवन दे रहीं तेमसुतुला
Posted on 10 Feb, 2017 04:49 PM

अमूमन देखा जाता है कि कहीं गन्दगी पड़ी हो, तो लोग प्रशासन व स्थानीय लोगों को कोसते हुए मन-ही-मन यह बुदबुदाते हुए निकल जाते हैं कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता। लेकिन, बदलाव तब होता है, जब लोग यह सोचते हैं कि क्यों न इस गन्दगी को साफ कर लोगों को प्रेरित किया जाये।

34 वर्षीय तेमसुतुला इमसोंग उन विरले लोगों में है, जिन्होंने गन्दगी देखकर प्रशासन और सरकार को कोसने की जगह सफाई का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया। इस काम में तेमसुतुला को दर्शिका शाह भी सहयोग कर रही हैं।
तेमसुतुला इमसोंग
जार-जार रो रहा 16वीं शताब्दी का मकबरा तालाब
Posted on 31 Jan, 2017 04:41 PM

भारत के राष्ट्रीय नायकों में शुमार शेरशाह सूरी द्वारा 16वीं शताब्दी में बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक बड़े तालाब के मध्य मकबरा बनाया गया था।

उस वक्त से ही इस तालाब को मकबरा तालाब कहा जाने लगा। उन दिनों तालाब का पानी कंचन हुआ करता था। बताया जाता है कि उस वक्त इस तालाब के पानी से स्थानीय लोग खाना भी बनाते थे, लेकिन आज यह तालाब अपनी दयनीय हालत पर जार-जार रो रहा है, लेकिन उसके आँसू पोंछने वाला कोई नहीं है।

305 मीटर क्षेत्रफल वाले तालाब के बीच एक चबूतरे पर बना यह मकबरा भारतीय-अफगानी स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूनों में एक है।
मकबरा तालाब
विष्णु नगरी में फ्लोराइड का धब्बा
Posted on 28 Jan, 2017 10:35 AM

पानी में फ्लोराइड की सुरक्षित मात्रा प्रति लीटर 1 मिलीग्राम है। पानी में अधिकतम 1.5 मिलीग

आर्सेनिक के खिलाफ बंगाल ने शुरू किया वार
Posted on 29 Dec, 2016 04:37 PM

बांग्लादेश और कम्बोडिया में इसी तकनीक के आधार पर प्लांट स्थाप
आर्सेनिक
जलसंकट से निपटेगा हाइड्रोजेल
Posted on 27 Dec, 2016 03:22 PM

हाइड्रोजेल के कण बारिश होने पर या सिंचाई के वक्त खेत में जाने वाले पानी को सोख लेता है और

विसर्जन से गंगा हुई और मैली
Posted on 29 Oct, 2016 12:54 PM

विसर्जन को लेकर अदालत की ओर से समय-समय पर कड़े फैसले सुनाए गए
चन्द्रभागा नदी के अस्तित्व के मिले सबूत
Posted on 28 Oct, 2016 04:49 PM

ओड़िशा का कोणार्क सूर्य मन्दिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने इस मन्दिर को हेरिटेज का दर्जा दिया है। इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ भी प्रचलित हैं। चूँकि सूर्य मन्दिर अब भी शान से खड़ा है तो इसके पीछे की पौराणिक कहानियों पर लोगों को आसानी से भरोसा हो जाता है।
कोणार्क सूर्य मन्दिर
पालमपुर : नौले धारे बचाने की अनूठी मुहिम
Posted on 20 Oct, 2016 12:14 PM

स्थानीय निकाय, प्रशासन और स्थानीय लोगों के इस साझा प्रयास ने पालमपुर में कामयाबी की नई कहानी लिखी है। जलवायु परिवर्तन, खेती की पद्धति में आये बदलाव, पानी के अकूत दोहन व अन्य कारणों से देश में पानी के स्रोत सूख रहे हैं लेकिन बढ़ती जनसंख्या के साथ पानी की माँग में इजाफा हो रहा है। ऐसे संगीन हालात से निपटने के लिये पालमपुर की इस कहानी को जमीन पर उतारना किफायती और फायदेमन्द सौदा हो सकता है।

लगभग 55, 673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हिमाचल प्रदेश अपनी खुबसूरती के लिये विश्व भर में मशहूर है। यह राज्य हिमालय की गोद में बसा हुआ है। इसके उत्तर में धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर, पश्चिम में पंजाब, दक्षिण पश्चिम में हरियाणा, दक्षिण पूर्व में उत्तराखण्ड और पूर्व में तिब्बत है। हिमाचल प्रदेश की आबादी लगभग 68,64,602 है। इसी राज्य में है पालमपुर। यह राज्य की कांगड़ा घाटी में स्थित है।

पालमपुर का नाम स्थानीय शब्द ‘पालुम’ से आया है जिसका मतलब होता है-पर्याप्त पानी। पालमपुर को पूर्वोत्तर भारत की चाय राजधानी भी कहा जाता है। पालमपुर का अस्तित्व वर्ष 1849 में आया था।

कुछ दशक पहले तक पालमपुर अपने नाम को चरितार्थ करता रहा था लेकिन बाद में जलवायु परिवर्तन के चलते धीरे-धीरे इस क्षेत्र का चरित्र बदलने लगा।
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