श्याममोहन श्रीवास्तव
श्याममोहन श्रीवास्तव
दूर, यमुना पार
Posted on 29 Sep, 2013 01:27 PMरात गहरी-खो गया हो ज्यों तिमिर में पंथ:
सितारों के तले-
बहता अनंत प्रवाह
दूर, यमुना पार...
दिख रही है
बत्तियाँ वे टिमटिमाती
ज्यों निबिड़ वन में
कहीं से रोशनी दिख जाए-
...किंतु राही भटकता रह जाए
उन तक पहुँच पाने में!
बीच का व्यवधान नील अदृश्य-
केवल
हरहराती ध्वनि:
तथा सब मौन, नीरव शांत!