सृजनगाथा
सृजनगाथा
नर्मदा जी नदी
Posted on 20 Sep, 2008 07:53 AMहजारों साल पहले की बात है। नर्मदा जी नदी बनकर जनमीं। सोनभद्र नद बनकर जनमा। दोनों के घर पास-पास ही थे। गाँव-बस्ती एक ही थी। दोनों अमर कंट की पहाड़ियों में घुटनों के बल चलते। अठखेलियाँ करते। पहाड़ों चट्टानों का सहारा लेते रेंगते हुए चलते। एक दूसरे को देख भारी खुश होते। चिढ़ते-चिढ़ाते। हंसते-रुठते। कहीं चट्टानों से टकराते। सिसकते और रोते। कहीं वनस्पतियों के सिर पर सवार हो गुजरते। मगन हो जाते। रूकन