संदीप शर्मा

संदीप शर्मा
ठेठ अंचल में हैं पानी की पाठशालाएं
Posted on 29 Apr, 2011 01:51 PM

सोचने पर विवश हूं कि जिन लोगों ने किताबें नहीं पढ़ीं, पन्ने नहीं पलटाए, अक्षर नहीं समझे, वे पानी को लेकर इतने संस्कारित हैं। विरासत ही इन्हें ऐसा बनाए हुए है। हर पीढ़ी अपनी आने वाली पीढ़ी को पानी का ये संस्कार देती आ रही है।

ठेठ अंचल में पानी की अलग कहानी सुनने और देखने को मिलती है। कहानी यहां आकर हकीकत में तब्दील हो जाती है। इंदौर जिले का आदिवासी अंचल पानी को लेकर एक सबक अपने में समेटे है। ये वो बात है, जो शहर के मुकाबले उस पिछड़े अंचल को कतार में आगे खड़ा करती है। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन गुने अवश्य हैं। पानी को लेकर उनका अपना फलसफा है, जिसे वे सालों से अपने जीवन का हिस्सा बनाए हुए हैं। महू तहसील का आदिवासी तबका पानी को लेकर बेहद संजीदा है। पानी की कमी ने उन्हें हमेशा से सजग और जिम्मेदार बनाए रखा है। शहर में पानी की कोई कद्र नहीं, लेकिन आवश्यकता बहुत है और बावजूद इसके दुरुपयोग रोकने को लेकर कोई गंभीर नहीं है।
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