शालू अग्रवाल
शालू अग्रवाल
इज्जत और मर्यादा की खातिर बनवाया शौचालय
Posted on 23 May, 2016 01:41 PMस्वच्छता मिशन से प्रेरित होकर उठाया कदम
घर में शौचालय बनवाकर गाँव की ब्रांड एम्बेसडर बन रहीं महिलाएँ
एनसीआर में शामिल महाभारतकालीन शहर मेरठ में भले ही विकास की अन्धाधुन्ध दौड़ क्यों न चल रही हो। लेकिन तेज रफ्तार भरे इस शहर के कई गाँव ऐसे हैं जो आज भी जिन्दगी की बुनियादी सुविधाओं के अभाव में गुजारने को मजबूर हैं। गंगा यमुना तहजीब की गवाह दोआबा भूमि कहलाने वाले मेरठ में गंगाजल से फसलें लहलहाती थीं।
विकास की दौड़ ने हवाईअड्डे, शॉपिंग मॉल और बहुमंजिला इमारतें तो शहर में खड़ी कर दीं। लेकिन इनके अन्धेरे में खेत-खलिहान खोते चले गए। खेतों में गेहूँ, गन्ने की जगह खड़ी होने वाली इमारतों, मॉल्स, फ्लाईओवर और सड़कों ने महज खाद्यान्न का संकट ही खड़ा नहीं किया, बल्कि उन तमाम ग्रामीण औरतों से शौचालय का वो अधिकार भी छीन लिया जो सवेरे चार बजे उठकर दिशा-मैदान के लिये सीधे इन खेतों की शरण में जाती थीं।