रूपनारायण त्रिपाठी

रूपनारायण त्रिपाठी
गंगा की बाढ़
Posted on 19 Sep, 2013 04:18 PM
सरबस ही बहा ले गई गंगा मैया
बचा नहीं एक भी उपाय।
धान और बाजरा समेत
लहरों में समा गए खेत
टीले परनाव चले दैया रे दैया
पेड़ों पर नदी चढ़ी जाए।
डूब गए निचले खपरैल
रात बहे ‘बंसी’ के बैल
बँसवट पर अटक गई घाट की मड़ैया
डूब गई पंडित की गाय।
पिए गाँव-घर का एहसास
पानी को लगी हुई प्यास
खेतों में मार रहीं लहरें कलैया
लोग करें हाय, हाय,हाय!
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