रमेशचंद्र शाह
रमेशचंद्र शाह
कहा नदी ने
Posted on 04 Oct, 2013 04:03 PMचट्टानों से चूर-चूर होने का नाटकचट्टानों को बहलाने के लिए नहीं है
पाला पड़ा
जनम लेते ही
चट्टानों से
पानी की चट्टानें भी
चट्टाने ही हैं
फिर आते गिरि-गह्वर, समतल
और विषम भी
आएगी फिर कोख
कंदरा-मग्न कपिल भी
फिर आएँगे सगर-पुत्र
फिर पछताएगी
पूरी वंशावली...और फिर
दुहराएगी वही कथा
फिर?