राजाराम रावत
राजाराम रावत
जीवन की जीत
Posted on 08 Dec, 2013 10:51 AMराजाराम रावत ‘पीड़ित’ पहाड़ी (चिरगांव)बहती जाती थी वेत्रवती, उर विकल किंतु करती कल-कल।कहती जाती थी वेत्रवती, जागृत जन से चल-चल, चल-चल।।
गति रोक न पल-भर को अपनी, मत कर विराम की तनिक चाह।
जीवन बस तब तक जीवन है, जब तक है उसमें कुछ प्रवाह।।
बनती-मिटती लहरें मानों, बोधित करती है बार-बार।
बनने-मिटने को मत समझो, जीवन की अपनी जीत-हार।।