पवन कुमार गुप्त
पवन कुमार गुप्त
विकास, प्रगति और उत्तराखंड की त्रासदी
Posted on 12 Jul, 2013 02:28 PM पश्चिम का विज्ञान अधूरा है और अब तो वह पूंजीवाद का नौकर हो कर रह गया है। साथ ही यह साधारण मनुष्य को भयंकर रूप से अहंकारी, आस्थावापरिवर्तन विकास नहीं होता
Posted on 23 Apr, 2012 04:53 PMआज समाज जिस विकास के पीछे भाग रही है वह बस एक दिखावा मात्र है। उससे कितने नुकसान होने की आशंका उसका कोई अंदाजा नहीं है। जिस पदार्थ या भौतिक अवस्था में कोई विकास है ही नहीं, उस पर टिके परिवर्तन को विकास कहना सबसे बड़ा भ्रम है। पदार्थ या भौतिक वस्तुओं के एक रूप को नष्ट करके दूसरे में परिवर्तित करने पर ही आज का समस्त विकास टिका है। इसी विकास के भ्रम के बारे में व्याख्या करते पवन कुमार गुप्त।
पर्यटन का कचरा
Posted on 11 Oct, 2010 03:20 PM गंगा के किनारे अनेक गांव और छोटे-बड़े शहर मिले। मगर एक भी गांव ऐसा नहीं मिला, जिसका गंदा पानी गंगा की ओर जाता हो। वे पारंपरिक ढंग से इस प्रकार बने हैं कि उनकी ढलान गंगा की ओर न जाकर दूसरी तरफ को है, ताकि गंदा पानी गंगा में न जाए। मगर एक भी ऐसा शहर नहीं मिला, जिसकी गंदगी गंगा में न जाती हो। उत्तराखंड भारत के तीन सबसे नए राज्यों में से एक है। उत्तर प्रदेश से अलग होने का एक बड़ा कारण-यहां की भौगोलिक स्थिति का उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति से भिन्न होना माना गया। पर अलग राज्य बनने के दस साल बाद भी ऐसा कहीं नहीं लगता कि यहां विकास का स्वरूप किसी प्रकार भी उत्तर प्रदेश या शेष मैदानी इलाके से भिन्न है या यहां के नेताओं, अफसरों और प्रभावशाली वर्ग के दिमाग में कोई अलग तरह की कल्पना है।उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पर्यटन को लेकर एक सम्मेलन में जाने का मौका मिला। वहां चाय के समय एक साधु से मुलाकात हुई। ‘विकास’ के मुद्दे पर बात होने लगी।