प्रो. सी.एच. हनुमंत राव

प्रो. सी.एच. हनुमंत राव
कृषि विकास के लिये उपयुक्त टेक्नोलॉजी
Posted on 27 May, 2016 11:00 AM

कम उपजाऊ तथा बारानी इलाकों में कृषि विकास, गाँवों में रोजगार बढ़ाने और गरीबी दूर करने दोनों दृष्टियों से आवश्यक है। यद्यपि यह एक चुनौती है परन्तु हमारे वैज्ञानिक इसका सफलतापूर्वक मुकाबला कर सकते हैं, क्योंकि कृषि अनुसंधान प्रणाली ने काफी अच्छे परिणाम दिए हैं। लेखक का कहना है कि बेहतर यही होगा कि हमारे कृषि अर्थशास्त्री तथा वैज्ञानिक उपयुक्त कृषि टेक्नोलॉजी विकसित करने के लिये मिलकर काम करें।

भारत में पिछले ढाई दशकों में हरित क्रांति तथा अनाज के मामले में आत्म निर्भरता की प्राप्ति में देश में विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी की सफलता की कहानी छिपी हुई है। वास्तव में कृषि उत्पादन के क्षेत्र में अब तक की उपलब्धियाँ हमारे कृषि अनुसंधान प्रणाली की पूर्ण क्षमताओं को प्रकट नहीं करतीं। पिछले वर्षों, विशेषकर गत डेढ़ दशक के दौरान भिन्न-भिन्न जलवायु तथा सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में भारतीय कृषि की आवश्यकताएँ पूरी करने में इस प्रणाली की क्षमताओं में बहुत वृद्धि हुई है। इतनी ही महत्त्वपूर्ण बात यह है कि भारत में यहाँ तक कि दूर-दराज के इलाकों में छोटे-बड़े किसानों को विस्तार कार्यों और अनुभव के जरिए नई तथा बेहतर कृषि तकनीकों के इस्तेमाल और विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के लाभों की अच्छी जानकारी हो गई है। कृषि में काम आने वाली आधुनिक वस्तुओं की उनकी मांग तथा नए तरीकों को जानने की इच्छा बढ़ती जा रही है, जिसके फलस्वरूप गाँवों में विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी पर आधारित जो कृषि आज हमें दिखाई दे रही है, वह 25 वर्ष पहले की खेती-बाड़ी से बहुत भिन्न है। हमारी कृषि अनुसंधान प्रणाली तथा उसके प्रति किसानों की रचनात्मक प्रतिक्रिया इन दोनों बातों को देख कर लगता है, कि निकट भविष्य में कृषि क्षेत्र में तेजी से प्रगति होगी।
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