प्रो. जी. थिमैया

प्रो. जी. थिमैया
शुष्क भूमि विकास और सम्भावनाएँ
Posted on 27 Feb, 2016 01:17 PM

शुष्क भूमियों के कृषि विकास में आड़े आने वाले विभिन्न दबावों का विश्लेषण करते हुए लेखक कहता है कि केवल समन्वित जल-सम्भर विकास ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि फसलों की बुवाई में भी विविधता लानी होगी। लेखक शुष्क भूमि कृषि को निजी क्षेत्र द्वारा निगमित निवेश के लिये खोलने का भी सुझाव देता है।
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