प्रमोद कौंसवाल

प्रमोद कौंसवाल
रूपिन और सूपिन
Posted on 05 Dec, 2013 10:44 AM
खिली हुई चांदनी में बिखरा है किसा बचपन। किसको याद है चांदनी पेड़ों से छनकर आई या दीवार से। मैं ही नहीं ज्यादा जानता अपने बचपन के बारे में ज्यादा तो किसी से क्यों कहूं नहीं जानता मुझे कोई। जैसे नैटवाड़ की नदियों रूपिन और सूपिन को नहीं जानता कोई। इनसे बनकर ही बनी है टौंस। और इनसे बनी भागीरथी, जिसने बनाई गंगा। बहरहाल। बड़े होकर मैं दोस्तों और रिश्तों में घुलमिल नहीं सका। मैंने कहा, नदी भी जब मिलती है
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