प्रेम पंचोली

प्रेम पंचोली
अनियोजित विकास की मार प्राकृतिक आपदा
Posted on 11 Jun, 2016 04:18 PM


उत्तराखण्ड में इस साल मौसम ने फिर से करवट ली है। बेतरतीब बरसात और तूफान ने जहाँ लोगों के आवासीय भवनों की छतें उड़ाकर लील ली वहीं अत्यधिक वर्षा के कारण बादल फटने और बाढ़ के प्रकोप से लोगों की जानें खतरे में पड़ गई है। मौसम इतना डरावना है कि प्रातः ठीक-ठाक दिखेगा और सायं ढलते ही मौसम का विद्रुप चेहरा बनने लगता है।

फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में उत्तराखण्ड
Posted on 30 May, 2016 04:31 PM


टिहरी जनपद की भिंलगनाघाटी हमेशा से ही प्राकृतिक आपदाओं की शिकार हुई है। साल 1803 व 1991 का भूकम्प हो या 2003, 2010, 2011 या 2013 की आपदा हो, इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण भिंलगनाघाटी के लोग आपदा के निवाला बने हैं।

उत्तराखण्ड के 3100 हेक्टेयर जंगल आग में स्वाहा
Posted on 30 May, 2016 09:56 AM


उत्तराखण्ड के जंगलों में लगी आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है। 1993 के बाद एक बार फिर जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिये सेना का हेलीकाप्टर उतारा गया। जिला प्रशासन ने पहले चरण में उन जगहों को चिन्हीकरण किया है, जहाँ आग आबादी की ओर बढ़ रही है।

पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, नैनीताल, बागेश्वर, पिथौरागढ़ जिलों सहित हरिद्वार और ऋषिकेश के जंगलों में 15 दिनों तक लगातार आग धधकती रही। इस मौसम में अब तक आग की 213 घटनाएँ हो चुकी हैं। राज्य के गढ़वाल और कुमाऊँ कमिश्नरी में 3100 हेक्टेयर जंगल आग लगने से राख हो चुके हैं। यही नहीं राजाजी और कार्बेट पार्क का 145 हेक्टेयर हिस्सा आग ने अपने हवाले कर दिया।

नैनी झील सूखेगी तो तराई में होगा जल संकट
Posted on 14 May, 2016 09:08 AM


उत्तराखण्ड स्थित पर्यटकों के लिये दुनिया में अपनी पहचान रखने वाली सरोवर नगरी की नैनी झील इस वक्त अपने अस्तित्व के लिये संघर्ष कर रही है। झील के चारों तरफ डेल्टा उभर आये हैं। इस वर्ष के आरम्भ में बारिश और बर्फबारी में भारी कमी आई है। इस झील को तरोताजा रखने वाले जंगलों में मौजूद प्राकृतिक तालाब सूख चुके हैं।

सर गाँव के सात जलधारे
Posted on 03 May, 2016 02:01 PM

A village of 7 Water-Springs
खाली होने की कगार पर पहुँच गया वाटर टैंक
Posted on 28 Mar, 2016 12:19 PM


अब यह सपने जैसा लगने लग रहा है कि क्या वाकई उत्तराखण्ड कभी ‘वाटर टैंक’ होगा। यह पंक्ति ठीक वैसे ही लग रही है जैसे हम लोग गाये-बगाहे कहते हैं कि हमारा देश सोने की चिड़िया है। पानी की किल्लत से गाँव के गाँव पहाड़ से नदियों के किनारे और शहरों में पलायन कर रहे हैं। राज्य में पलायन की समस्या कुछ और भी है, परन्तु मौजूदा समय में पानी की समस्या राज्य के लोगों के सामने मुँहबाये खड़ी है।

यमुना और टौंस के अस्तित्व पर भारी संकट
Posted on 14 Mar, 2016 01:17 PM

यमुना, टौंस, रूपिन तथा सूपीन की घाटियाँ अपनी जल प्रचुरता, उत्
मुआवजे के लालच में मुगालते में लोग
Posted on 21 Feb, 2016 04:24 PM

आज से दो-ढाई दशक पूर्व लोगों के जल, जंगल, जमीन पर आक्रमण इतना
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