प्रेम पंचोली

प्रेम पंचोली
नब्बे फीसदी शौचालय के बावजूद भी प्रदूषण का अम्बार
Posted on 27 Aug, 2016 12:49 PM

उत्तराखण्ड में कभी गाँव को स्वच्छता का प्रतीक माना जाता था। तब गाँव में शौचालय नहीं हुआ करते थे और लोग खुले में ही शौच जाते थे, किन्तु गाँव में सीमित जनसंख्या थी। अब कहीं गाँव खाली हो रहे हैं तो कहीं गाँवों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। उन दिनों सरकारी सेवा या ठेकेदारी के कामों से जुड़े व्यक्ति के घर-पर ही शौचालय हुआ करते थे जो गिनती मात्र के थे।
सुसवा नदी के पानी से कैंसर होने की प्रबल सम्भावना
Posted on 12 Aug, 2016 11:17 AM


मसूरी की पहाड़ियों से निकलनी वाली सभी छोटी-बड़ी नदियाँ देहरादून से होकर गुजरती हैं। यही वजह थी कि देहरादून का मौसम वर्ष भर सुहावना ही रहता था। हालांकि यह अब बीते जमाने की बात हो चुकी है। इसलिये कि देहरादून की सभी छोटी-बड़ी नदियाँ अतिक्रमण और प्रदूषण की भेंट चढ़ गई हैं।

देहरादून में एक और गंधकयुक्त पानी का चश्मा
Posted on 09 Aug, 2016 04:19 PM

वैसे तो हिमालय के शिवालिक क्षेत्र में गंधकयुक्त पानी के चश्मे मिलते ही है परन्तु उत्तराखण्ड की अस्थायी राजधानी देहरादून में इन चश्मों ने अपनी सुन्दरता के बरख्त लोगों को सरेआम अपनी ओर आकर्षित किया है। अब हालात इस कदर है कि ये गंधकयुक्त पानी के चश्में अपने प्राकृतिक स्वरूप खोते ही जा रहे हैं। भले देहरादून से 10 किमी के फासले पर सहस्त्रधारा जैसे पर्यटन स
गंगा के सवाल पर निर्णायक लड़ाई
Posted on 30 Jul, 2016 03:49 PM

भले ही 07 जुलाई 2016 को ‘मिशन फॉर क्लिन गंगा’ कार्य योजना का उद्घाटन केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, केन्द्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी हरिद्वार पहुँचकर कर गए हों मगर गंगा की अविरलता और सांस्कृतिक, आध्यात्मिक के सवाल आज भी खड़े हैं। मोदी सरकार की ‘गंगा मिशन’ कार्य योजना कब परवान चढ़ेगी यह तो समय ही बता पाएगा परन्तु वर्तमान का ‘विकास मॉडल’ गंगा की स्वच्छता और अविरलता को लेक
प्राकृतिक आपदा के लिये मानवजनित कारनामें
Posted on 07 Jul, 2016 01:29 PM


ऐसा लगता है कि उत्तराखण्ड और आपदा का चोली दामन का साथ हो गया है। साल 2010 से लगातार बरसात आरम्भ होने से ही आपदाओं का डर लोगों को सदमें में डाल देता है। अभी मानसून पूर्ण रूप से आया ही नहीं था कि राज्य के पहाड़ी जिले पिथौरागढ़, चम्पावत, चमोली, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा एवं देहरादून व नैनीताल जिलों के पहाड़ी क्षेत्र आपदा की चपेट में आ गए।

जलविद्युत परियोजनाओं से छलनी होते हिमालय के पहाड़
Posted on 02 Jul, 2016 12:25 PM

400 मेगावाट विष्णुप्रयागवैसे भी उत्तराखण्ड में 558
हालात-ए-देहरादून : बिन पानी सब सून
Posted on 27 Jun, 2016 04:02 PM

राज्य में पिछले 10 वर्षो में 221 प्राकृतिक जल स्रोत सूख चुके
500 जलधाराओं का होगा पुनर्जीवन
Posted on 25 Jun, 2016 10:33 AM


प्राकृतिक जलधाराओं से ही नदियों का स्वरूप बनता है। नदियों के संरक्षण की बात राज्यों से लेकर केन्द्र तक हो रही है। मगर सूख रही जल धाराओं के प्रति हमारी चिन्ता दिखाई नहीं दे रही है। यही नहीं हमारे पास जलधाराओं का कोई आँकड़ा भी नहीं है।

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