प्रेम पंचोली

प्रेम पंचोली
नौलाे-धारे के हिमायतियों की राज्यस्तरीय कार्यशाला
Posted on 19 Aug, 2018 02:03 PM

स्प्रिंग का महत्त्व और छोटे जलस्रोतों की उपेक्षा को लेकर देहरादून स्थित चिराग, सिडार और अर्घ्यम संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें भविष्य में उत्पन्न होने वाले जल संकट और नदियों के घटते जलस्तर को लेकर विशेषज्ञ ने अपनी-अपनी राय प्रस्तुत की है। राय दी कि बिना जैवविविधता के पानी को बचाना आज के समय में कठिन है। साथ ही जल संरक्षण के लिये वैज्ञानिक और लोक ज

नौलाे-धारे के हिमायतियों की राज्यस्तरीय कार्यशाला
दो लाख हेक्टेयर में होगी जैविक खेती
Posted on 30 Jul, 2018 03:05 PM

उत्तराखण्ड इस बात के लिये भाग्यशाली है कि पहाड़ी क्षेत्रों में रासायनिक खादों का प्रयोग नाम मात्र का होता है। कम

ब्रुसेल्स
आने वाले तीस वर्षों में दुर्लभ हो जाएगा जल
Posted on 29 Jul, 2018 06:13 PM

सुख-सुविधा की चाह में लोग विस्थापित हो रहे हैं या विकास का नया मॉडल उन्हें विस्थापन के लिये मजबूर कर रहा है। विक

नौला
पहले कुदरती, फिर जैविक और अब रासायनिक
Posted on 28 Jul, 2018 06:08 PM

आजकल ऐसी खबरें तेजी से फैल रही है कि किसान खेती छोड़ रहे हैं, कर्जे में डूब रहे हैं, आत्महत्या करने लगे हैं। इसक

कृषि
नया विकास मॉडल हिमालय के लिये चिन्ता का विषय है - श्री भट्ट
Posted on 09 Jun, 2018 01:55 PM


गाँधीवादी, चंडी प्रसाद भट्ट पर्यावरणीय मुद्दों से सरोकार रखने वाले देश की नामचीन हस्ती हैं। इन्होंने गोपेश्वर में ‘दशोली ग्राम स्वराज्य संघ’ (1964) की स्थापना की और 1973 में चिपको आन्दोलन से जुड़े। समाज और पर्यावरण से जुड़े कार्यों के लिये इन्हें मैग्सेसे पुरस्कार, गाँधी शान्ति पुरस्कार और पद्मश्री, पद्मविभूषण जैसे सम्मान से नवाजा जा चुका है।

चण्डी प्रसाद भट्ट
जल संरक्षण से पानीदार हुआ लुठियाग गाँव
Posted on 29 Sep, 2017 03:32 PM

जिस तरह से लुठियाग गाँव के ग्रामीणों ने 40 मीटर लम्बी और 18 मीटर चौड़ी झील का निर्माण किया इसी तरह ही लोग

chal khal
पुनर्जीवित हुए मुडाला-दोगी के जलस्रोत
Posted on 24 Sep, 2017 11:30 AM

मुडाला-दोगी गाँव में 90 परिवारों की 432 की जनसंख्या पहले भी दो प्राकृतिक जलस्रोतों पर निर

water spring
पानी- एक ने बनाया रोजगार तो दूसरे ने बनाया समाचार
Posted on 18 Dec, 2016 12:37 PM


उत्तराखण्ड हिमालय में अब पेयजल का संकट होना लाजिमी है। क्योंकि जनसंख्या का बढ़ना और प्राकृतिक संसाधनों का अवैध दोहन, पानी की समस्या को खड़ा कर रहे हैं। इस संकट से निजात पाने के लिये सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कई योजनाएँ बनी हैं, परन्तु गर्मी आरम्भ होते ही पानी के लिये चारों तरफ हाहाकार मचा रहता है।

त्रिलोक बिष्ट के घर के पीछे बनाया गया रेनवाटर हार्वेस्टिंग टैंक
पेयजल योजनाओं में परम्परा का स्थान
Posted on 26 Dec, 2009 06:58 PM

हिमालय फाउंडेशन के सहयोग से किये गये एक अध्ययन में पाया गया कि जहाँ लोग परम्परागत ढंग से प्रयोग कर रहे हैं, वहाँ पानी की उपलब्धता बनी हुई है।

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