पैरवी

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भारतीय पारम्परिक ज्ञान से ही जलवायु संकट का समाधान सम्भव : अनिल माधव दवे
Posted on 31 Oct, 2015 02:31 PM
हम विकसित देशों की ओर देखें तो खाद्य पदार्थ का जितना इस्तेमाल होता
रियो+20 के लिए राष्ट्रीय व वैश्विक प्राथमिकताएं
Posted on 11 Jun, 2012 06:01 PM

रियो सम्मेलन विश्व स्तर पर होने वाला सबसे बड़ा सम्मेलन है जो कि विकास के भविष्य का एजेंडा व रणनीति को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। किंतु भारत सरकार द्वारा अभी तक अपना पक्ष या दृष्टि स्पष्टता से नहीं रखी गई है और न ही लोकसभा व राज्यसभा में इस विषय पर चर्चा व बहस कराई गई है। यह निराशाजनक है खासकर तब जब हम जानते हैं कि 2015 तक सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों को पाना नामुमकिन है, विश्व की आधी से अधिक भुखमरी हमारे देश में व्याप्त है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संपूर्ण विश्व के राष्ट्राध्यक्ष, सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि और विकास के मुद्दों से जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधी 20 से 22 जून 2012 को ब्राजील की राजधानी रियो दी जेनेरियो में एकत्रित होने जा रहे हैं। इस महासम्मेलन को रियो+20 का नाम दिया है क्योंकि 20 वर्ष पूर्व (1992) भी रियो में 172 सरकारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पर्यावरण और विकास के मुद्दों पर वैश्विक सम्मेलन का आयोजन किया गया था और पहली बार वैश्विक राजनैतिक पटल पर सतत् विकास (Sustainable Development) पर गंभीरता से चिंतन किया गया और माना गया कि सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय विकास को पृथक न कर समग्रता में देखते हुए विकास के मुद्दों पर कार्य करना चाहिए। इस सम्मेलन का महत्वपूर्ण परिणाम था एजेंडा 21 जो कि 21वीं शताब्दी के विकास का एक्शन प्लान था और जिसे राष्ट्रों से अपने विकास के एजेंडा में शामिल करने की अपील की गई थी।
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