नीरज वर्मा

नीरज वर्मा
क्लोरिनयुक्त पेयजल में ट्रायहैलोमिथेन की उपस्थिति पर अध्ययन
Posted on 31 Mar, 2012 12:21 PM जल जनित रोगों की रोकथाम में क्लोरीन एक महत्वपूर्ण विसंक्रामक के रूप में उपयोग में लाया जाता है। पेय जल के शुद्धिकरण हेतु क्लारीन का उपयोग भारत में लंबे समय से किया जा रहा है। क्लोरिन जल में उपस्थित कार्बनिक यौगिक (फ्लविक एवं ह्रयूमिक एसिड) से क्रिया कर विसंक्रामक उत्पाद का निर्माण करती है जो ट्रायहैलोमीथेन होते हैं जिनमें प्रमुखतः क्लोरोफार्म, डाइक्लोरोब्रोमीथेन, डाइब्रोमोक्लोरीमीथेन एवं ब्रोमोफार
×