नौषाद आलम

नौषाद आलम
सामुदायिक वन प्रबंधन का अनूठा प्रयोग
Posted on 13 Dec, 2011 10:00 AM

गांव वालों के प्रयास से जंगलों को मिला नवजीवन


इस पंचायत में एक गांव है- कठारा। यह गांव मूलतः आदिवासियों का गांव है। आदिकाल से ही इनका जल, जंगल और जमीन से भावनात्मक लगाव रहा है। जल, जंगल और जमीन के प्रति गहरी आस्था उनकी परंपरा रही है। दरअसल जिरवा पंचायत के लोगों के लिए कठारा गांव के आदिवासी ही प्रेरणास्रोत बने। पंचायत के लोगों ने वनों के संरक्षण व संवर्धन की कला इन्हीं आदिवासियों से सीखी।

आधुनिकीकरण और औद्योगिकीकरण के नाम पर जिस तरह से जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। उसका दुष्परिणाम हम सबके सामने है। जंगलों को बचाने के लिए कोई ठोस उपाय कारगर सिद्ध नहीं हो रहा है। ऐसे में झारखंड के चतरा स्थित सिमरिया के जिरवा पंचायत के लोगों ने तकरीबन पांच सौ हेक्टेयर क्षेत्र में जंगलों को पुनर्जीवित कर सामुदायिक वन प्रबंधन का अनूठा प्रयोग किया है। गांव वालों के प्रयास से यहां के जंगलों में सखुआ, आसन व चकोड़ी के हजारों वृक्ष अपने यौवन पर इतरा रहे हैं।
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