मैलविल डी मैलो
मैलविल डी मैलो
दिव्य प्रवाह से अनंत तक
Posted on 08 Jan, 2017 02:37 PMसन 1950 में सेना की नौकरी में लेफ्टिनेंट का पद छोड़ श्री मैलविल डी मैलो ने आकाशवाणी में उद्घोषक की तरह काम प्रारम्भ किया था। अपनी खनकती आवाज और भाषा की समृद्धि के अलावा मन की उदारता और गहराई ने श्री डी मैलो को इतनी ऊँचाई दी कि उनके शब्दों ने रूपों का भी आकार ले लिया था। उस दौर में टेलिविजन नहीं था पर श्री डी मैलो के शब्द उसकी कमी को सहज ही पूरा कर देते थे। गाँधीजी की अंतिम यात्रा का उनके द्व