Posted on 26 Jun, 2014 01:16 PMहिमालय के गांव हों या शहर, एक समय था जब यहां पर समाज खुद अपने पीने के पानी की व्यवस्था करता था। वह राज्य या सरकार पर निर्भर नहीं रहता था। सदियों पुरानी पेयजल की यह व्यवस्था कुमाऊं के गांवों में नौला व धारे के नाम से जानी जाती है। ये नौले और धारे यहां के निवासियों के पीने के पानी की आपूर्ति किया करते थे। इस व्यवस्था को अंग्रेजों ने भी नहीं छेड़ा था।