कृष्ण गोपाल 'व्यास’

कृष्ण गोपाल 'व्यास’
भारत में जल संचय की परंपराएं
Posted on 02 Jun, 2014 12:58 PM

पृथ्वी, जल का आश्रय है। जल का सूक्ष्य रूप ही प्राण है। मन, ज
Traditional Johad
कुछ बुनियादी बातें
Posted on 23 May, 2014 01:40 PM

संविधान के बाद, पानी पर दूसरा बंधनकारी दस्तावेज 1987 में देश की जलनीति के रूप में सामने आ

KG Vyas
आंकड़ों के आईने में पानी
Posted on 23 May, 2014 12:32 PM

भारत के अनेक इलाकों का जल संकट, यदि एक ओर समाज की तकलीफों का
water
नदी जोड़ परियोजना : एक परिचय, भाग-2
Posted on 14 May, 2014 03:53 PM

जलमार्गों की श्रृंखला के तालमेल एवं पानी उठाने वाली व्यवस्था
drinking water
नदी जोड़ परियोजना : एक परिचय, भाग-1
Posted on 12 May, 2014 02:44 PM

एन.डब्ल्यू.डी.ए.
pure drinking water
नदी तंत्र और मानवीय हस्तक्षेप
Posted on 02 May, 2014 10:45 AM

विकास गतिविधियों के बढ़ने के कारण नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में मौजूद जंगल कम हो रहे हैं। अतिवृष्टि तथा जंगल घटन

नदी तंत्र
गंगा शुद्धिकरण प्रयासों का लेखा जोखा
Posted on 02 May, 2014 10:23 AM

गंगा नदी के प्रारंभिक जलमार्ग में अनेक बाँधों के निर्माण के कारण जलग्रहण क्षेत्र से परिवहित मलबा, आर्गनिक कचरा तथा पानी में घुले रसायन बाँधों में जमा होने लगा है जिसके कारण बाँधों के पानी के प्रदूषित होने तथा जलीय जीव-जंतुओं और वनस्पतियों पर पर्यावरणीय खतरों के बढ़ने की संभावना बढ़ रही है। बाढ़ के गाद युक्त पानी के साथ बह कर आने वाले कार्बनिक पदार्थों और बाँधों के पानी में पनपने वाली वनस्पतियों के आक्सीजनविहीन वातावरण में सड़ने के कारण मीथेन गैस बन रही है। गंगा, अनादिकाल से स्वच्छ जल का अमूल्य स्रोत और प्राकृतिक जलचक्र का अभिन्न अंग रही है। उसने अपनी उत्पत्ति से लेकर आज तक, अपने जलग्रहण क्षेत्र पर बरसे पानी की सहायता से कछारी मिट्टी को काट कर भूआकृतियों का निर्माण कर रही है तथा मुक्त हुई मिट्टी इत्यादि को बंगाल की खाड़ी में जमा कर रही है। उसने लाखों साल से वर्षाजल, ग्लेशियरों के पिघलने से प्राप्त सतही जल तथा भूमिगत जल के घटकों के बीच संतुलन रख, सभ्यता के विकास को सम्बल प्रदान कर सामाजिक तथा आर्थिक कर्तव्यों का पालन किया है। वह, कछार की जीवंत जैविक विविधता का आधार है।

कहा जा सकता है कि भारत में, मानव सभ्यता के विकास की कहानी, काफी हद तक गंगा के पानी के उपयोग की कहानी है।
गंगा
तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक
Posted on 04 Oct, 2022 04:13 PM

परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीत

बेहद खास हैं भारत के परम्परागत तालाबों की विरासत
Posted on 29 Sep, 2022 02:09 PM

अनुपम मिश्र ने अपनी किताब आज भी खरे है तालाब में लिखा था कि सैकड़ों, हजारों तालाब अचानक शून्य से प्रगट नहीं हुए थे। इनके पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने वालों की। यह इकाई दहाई मिलकर सैंकड़ा हजार बनती थी।  

बेहद खास हैं भारत के परम्परागत तालाबों की विरासत,फोटो-India water portal Flicker
केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण  : कुछ तथ्य, कुछ जानकारियां
Posted on 08 Jul, 2022 05:20 PM

केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण : परिचय

‘मिनिस्ट्री ऑफ एन्व्हिरॉनमेंट एंड फॉरेस्ट’, भारत सरकार ने भूजल के रेगुलेशन और नियंत्रण तथा उसके सम्बन्ध में रेगुलेटरी निर्देश जारी करने के लिए पर्यावरण (सुरक्षा) एक्ट, 1986 की धारा (3) के अधीन, केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority) तथा राज्य स्तरीय भूमि जल प्राधिकरण  का गठन किया है। उसे अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए समय समय पर नोट

केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण
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