धनेश्वर राय

धनेश्वर राय
उत्तर प्रदेश में जलाक्रांति एवं ऊसर
Posted on 07 Jan, 2012 10:39 AM
राष्ट्र एवं राज्य की बढ़ती आबादी के लिये खाद्यान्न पूर्ति हेतु कृषि विकास एक अपरिहार्य एवं चुनौती पूर्ण कार्य में सिंचाई की भूमिका सर्वाधिक है। ऐसा अनुभव किया जा रहा है कि सिंचाई जल का संतुलित एवं समन्वित उपयोग न होने पर कुछ क्षेत्रों में जलाक्रांति एवं ऊसर की समस्या उत्पन्न हो जाती है। परिणामतः पर्यावरण संतुलन बिगड़ता है। उपजाऊ कृषि भूमि अनुपयोगी होती जा रही है। ऊसर/परती भूमि की बढ़ोत्तरी के साथ-
जलाक्रांत क्षेत्रों में जायद धान – उत्पादन की सम्भावनाएं एवं लाभ
Posted on 06 Jan, 2012 04:29 PM उत्तर प्रदेश में सतही जल एवं भू-गर्भ जल के अनियोजित एवं असंतुलित उपयोग से पर्यावरण एवं कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। जलाक्रांत एवं अर्धजलाक्रांत क्षेत्रों में ऊसर/परती भूमि में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। खाद्यान्न उत्पादन एवं उत्पादकता गंभीर रुप से प्रभावित हुआ है। दलहन एवं तिलहन का उत्पादन घटा है। भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण हुई है। जलाक्रांत प्रभावी कुछ विकास खंडों में फसल सघनता प्रदेश औस
उत्तर प्रदेश में भूजल सम्पदा एवं दोहन की स्थिति
Posted on 06 Jan, 2012 12:21 PM ग्रामीण एवं नगर विकास में भूगर्भ जल का दोहन विकास का पर्याय बन चुका है। सुनिश्चित एवं सामयिक सिंचाई के साथ-साथ घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग में इसका दोहन तेजी से बढ़ा है। प्रदेश के 895 विकास खंडों में, पुनरीक्षित मानक के अनुसार उपयोगार्थ भूजल उपलब्धता 172.22 करोड़ हे. मीटर अनुमानित है, जिसमें से 146.39 करोड़ हे. मीटर सिंचाई तथा 25.83 करोड़ हे.
×