डॉ. स्वाति तिवारी
डॉ. स्वाति तिवारी
एक करिश्मा नदी और घाटी का
Posted on 08 May, 2016 10:32 AMवे कभी अमेरिका नहीं गए थे, फिर कैसे इतना कुछ शब्दशः वर्णन कर देते थे जैसे वहीं खड़े हों? उनके शब्द मेरे कानों में गूँज रहे थे ‘नदी और उसकी सहायक नदियों ने उस क्षेत्र को परत-दर-परत काटा होगा और पठार ऊपर गया होगा, तब एक अजूबा सामने आया जब पृथ्वी का भूगर्भीय इतिहास प्रकट हुआ ऐसा अजूबा कि देखने वाले बस देखते रह जाएँ दाँतों तले उँगली दबाएँ, ‘जानती हो इस अजूबे को क्या कहते है?’
इंदौर का पानी
Posted on 30 Jan, 2010 09:26 AMहमें याद रखना होगा देश में इंदौर में प्रसारित जल सबसे महंगा है। इंदौर वासियों को घरों तक पानी पहुंचाने से सरकार को जितना खर्च करना पड़ता है उतना शायद देश के किसी शहर में नहीं होता। नल न आने पर सड़क पार के बोरिंग से एक बाल्टी पानी लाना आपको महंगा लगता है, तब फिर जलूद (नर्मदा) से इंदौर तक एक बाल्टी पानी लाने में आपके क्या हाल होंगे? कितना छलकेगा पानी? असंभव है ना यह तो फिर जमूद से इंदौर तक की यात्रा करते पानी का मोल पहचानना होगा।डग-डग नीर के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध मालवा आए दिन सूखे की चपेट में होता है। मरुस्थल होते जा रहे इस पठार पर पानी की कमी भयावह संकेत दे रही है। पानी की यह संकट हमें ही झेलना है, इसलिए जरूरी है बूंद-बूंद पानी के महत्व को महसूस किया जाए।इंदौर मालवा का सबसे बड़ा शहर है। पर इतिहास साक्षी है कि यह कोई बहुत पुराना नगर नहीं है। 1715 के आसपास यह क्षेत्र ओंकारेश्वर से उज्जैन के मध्य यात्रा का एक खुशनुमा पड़ाव हुआ था। आज यह महानगर में तब्दील होता एक शहर है, जो मुम्बई का स्वरूप लेता जा रहा है। जमीन का यह टुकड़ा बाजीराव पेशवा ने मल्हारराव होल्कर को 1733 में पुरस्कार के रूप में दिया था।