डॉ. जी.डी. सूथा

डॉ. जी.डी. सूथा
ऊर्जा स्रोतों का पुनः प्रयोग और उनकी सामाजिक प्रासंगिकता (Re-use of energy resources and the social relevance)
Posted on 05 Mar, 2017 01:31 PM

इस लेख में लेखक ने आज मनुष्य के सामने उपस्थित ऊर्जा-संकट का जिक्र किया है। उसका मत है कि मानव सभ्यता के इतिहास में इससे पहले कभी भी जनसंख्या वृद्धि, पर्यावरण संकट और ऊर्जा स्रोतों के तेजी से समाप्त होने जैसी समस्याएँ पैदा नहीं हुई। दरअसल ये समस्याएँ मनुष्य द्वारा स्वयं उत्पन्न की गई हैं। लेखक का सुझाव है कि ऊर्जा के फिर से कार्य में लाए जा सकने वाले स्रोतों के उपयोग के लिये स्पष्ट नीति
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