डॉ. जेन्नी शबनम
डॉ. जेन्नी शबनम
फ्लोराइड से अपाहिज होते गांव
Posted on 22 Aug, 2012 10:11 AMबिहार के लगभग 21 जिले आर्सेनिक से प्रभावित हैं और कई जिले फ्लोराइड से प्रभावित हैं। भागलपुर जिले का कोलाखुर्द गांव के भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड दोनों की मात्रा बहुत ज्यादा है। 2000 आबादी के इस गांव में 100 से ज्यादा लोग पूर्णतः या अंशतः विकलांग हो चुके हैं। काफी लोग गांव छोड़कर जा चुके हैं। सरकारी प्रयास दिखावे के लिए आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित चापाकलों पर लाल निशान लगाने तक सीमित रह गया है। गांव से महज एक किलोमीटर दूर साफ पानी उपलब्ध है। पर लापरवाही और गैरजिम्मेदारी से निजात मिले तो साफ पानी मिले। बता रही हैं डॉ. जेन्नी शबनम।कोलाखुर्द का दर्द पिघल-पिघल कर पूरे देश के अखबार की खबरों का हिस्सा बनता है, लेकिन किसी इंसान के दिल को नहीं झकझोरता न तो सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाता है। यहां स्वास्थय केंद्र भी नहीं है। भागलपुर जाकर ईलाज कराना इनके लिए मुमकिन नहीं क्योंकि आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि रोजगार छोड़ कर अपने घर वालों का अच्छा ईलाज करा सकें। ग्रामीणों के पास दो विकल्प हैं, या तो जहर पी-पी कर धीरे-धीरे पीड़ा से मरें या गाँव छोड़ दें।
“न चल सकते हैं, न सो सकते हैं, न बैठ सकते हैं, कैसे जीवन काटें?” कहते-कहते आँसू भर आते हैं गीता देवी की आँखों में। मेरे पास कोई जवाब नहीं, क्या दूँ इस सवाल का जवाब? मैं पूछती हूँ” कब से आप बीमार हैं?” 50 वर्षीया शान्ति देवी जो विकलांग हो चुकी है रो-रो कर बताती है “जब से सरकार ने चापाकल गाड़ा है जहर पी-पी के हमारा ई हाल हुआ है।” वे अपने दोनों पाँव को दिखलाती है जिसकी हड्डियां टेढ़ी हो चुकी है। उन्होंने कहा “जब तक चापाकल नहीं गाड़ा गया था तब तक पानी का बहुत दिक्कत था। लेकिन अब लगता है कि ये चापाकल ही हमारा जान ले लेगा तो हम कभी इसका पानी नहीं पीते।”