डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित

डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित
नदी या तालाब की बाढ़ के पानी के गुण
Posted on 08 Jan, 2010 03:09 PM
मधुरं पित्तशमनं विदार्योद्भावितं जलम्।नदीजलं शुक्लविवर्धनञ्च सुखप्रदं पित्तकफनिलघ्नम्।संतर्पणं दाहतृषाहरन्तु संदीपनं स्वच्छतरं लघु स्यात्।।
जलगुण
Posted on 08 Jan, 2010 02:31 PM

त्रिदोषशमनं पथ्यं स्वादु हृद्यं च जीवनम्।आम-ल्कम-पिपासान्धं दिव्यं वारि मनोहरम्।।
दिव्य जल मनोहर होता है। वह वात, पित और कफ नामक तीनों दोष शान्त करने वाला, पथ्य या स्वास्थ्य प्रदान करने वाला, स्वादिष्ट, रोचक, जीवन (रुप) होता है तथा अजीर्ण थकान और प्यास नष्ट करता है।

प्रावृड् जलनिर्मुक्तं अव्यक्तं स्वादुलक्षणम्।वारि स्फटिकसंकाशं आन्तरिक्षमिति स्मृतिम्।

भोज देवकृत-जलमंगल
Posted on 08 Jan, 2010 11:09 AM

रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून।पानी गये न ऊबरे मोती मानुस चून।।

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