डॉ. अमरेंद्र

डॉ. अमरेंद्र
अंगिका काव्य में पावस वर्णन
Posted on 27 Mar, 2014 09:53 AM

‘तित्तर पांखे मेघ, विधवा करै सिंगार
इक बरसै, एक उड़रै कहि गेलै डाक गुबार।’

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