दिनेश शाक्य

दिनेश शाक्य
चंबल में सियार साफ कर रहे हैं घड़ियाल
Posted on 28 Jul, 2011 09:46 AM

इटावा। घड़ियालों को संरक्षित करने की दिशा में केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं को नाकारा चंबल सेंचुरी के अफसरों की लापरवाही के चलते पूरी तरह से धूल में मिल गई है। इन अफसरों की हीला-हवाली के चलते घड़ियालों के अंडे सियारों का निवाला बन रहे है और चंबल सेंचुरी के अफसर अपनी जेबों के वजन को बढ़ाने में लगे हुये है। घड़ियालों के अंडों के सियारों के निवाला बनने का यह वाक्या उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में चं

घड़ियालों के अंडे संकट में
गौरैया इटावा में सैकड़ों की तादाद में नजर आईं
Posted on 26 Jul, 2011 05:21 PM
कभी आम घरों में हमेशा रहने वाली गौरैया नामक चिड़िया करीब-करीब विलुप्त होने के कगार पर आ खड़ी हुई थी इसको लेकर वन अफसरों और तमाम पर्यावरणीय संस्थाओं की ओर से चिंता जताई जाने लगी थी आम लोग गौरैया को देखने के लिये तरस गये थे पूरी तरह से गायब हो चुकी गौरैया चिड़िया की खासी तादाद उत्तर प्रदेश के इटावा में देखे जाने से एक उम्मीद बंधी है कि अब गौरैया लुप्त नहीं होगी।इटावा में एक हजार से अधिक की तादाद में
गौरैया चिड़िया पर अब लुप्त होने का संकट मंडरा रहा है
कुख्यात चंबल घाटी होगी विख्यात
Posted on 05 Jul, 2011 10:02 AM

बीहड़ की ऐसी बलखाती वादियां समूची पृथ्वी पर अन्यत्र कहीं नहीं देखी जा सकतीं हैं। अटेर का अपना ए

यमुना नदी में हुआ पहली बार घड़ियाल का प्रजनन
Posted on 20 Jun, 2011 10:54 AM
देश में यह पहला मौका है जब किसी घड़ियाल ने सबसे प्रदूषित समझी जाने वाली यमुना नदी में प्रजनन किया है। निषेचन के उपरांत करीब घड़ियाल के बच्चे नजर आ रहे हैं। पहली बार यमुना नदी में घड़ियाल के बच्चे पाये जाने को लेकर जहां गांव वाले खासे खुश दिख रहे हैं वही पर्यावरणविद भी उत्साहित हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जिस प्रकार घड़ियाल ने यमुना नदी में प्रजनन किया है उससे एक उम्मीद यह भी बंध चली है कि आने वाले दिनों में यमुना नदी भी घड़ियालों के प्रजनन के लिये एक मुफीद प्राकृतिक वास बन सकेगा। घड़ियाल के प्रजनन का यह वाक्या हुआ है उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के हरौली गांव के पास हुआ है जहां इन बच्चों को लेकर गांव वाले खासे उत्साहित दिख रहे है। पहली बार घड़ियाल के प्रजनन को लेकर गांव वालों के साथ-साथ आम इंसान भी गदगद हो गये हैं।
इटावा जिले के यमुना नदी में घड़ियाल
संकट में सारस
Posted on 21 Nov, 2009 08:46 AM
सारस पक्षी के लिये दुनिया का एक मात्र स्थल होने के बावजूद इटावा को पूरी तरह से सरकारी तौर पर उपेक्षित रखा गया है,जब कि सर्वोच्च न्यायालय के सारस संरक्षण के आदेशों को बलाये ताक रख कर आजतक ना तो केन्द्र सरकार और ना ही उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई ठोस कार्य योजना अमल में नहीं लाई गई है.जब कि सारस पक्षी को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य पक्षी का दर्जा देकर महज खाना पूरी कर रखी है.
सारस पक्षी
डॉल्फिन बचेगी तब, अगर . . .
Posted on 10 Oct, 2009 08:07 AM

5 अक्टूबर को सम्पन्न गंगा प्राधिकरण की पहली बैठक में जो महत्वपूर्ण निर्णय हुआ वह यह कि गंगा में निवास करनेवाली डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलचर घोषित कर दिया गया. बाघ और मोर के बाद डाल्फिन को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया जाना डाल्फिन को उसकी गरिमा तो दिलाता है लेकिन हकीकत यह है कि देश के नदियों के पवित्र जल में निवास करनेवाली डाल्फिन का अस्तित्व खतरे में है.
Dolphin India
इटावा में पानी के नाम पर घोटाला
Posted on 25 Aug, 2009 09:45 AM

देश में शुद्ध पानी की विकराल समस्या है। लोगों को हलक तर करने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है परंतु जिन कंधों पर इस समस्या के समाधान की जिम्मेदारी है, वे घोटाले कर सरकारी धन का डकारने में जुटे हैं।
चंबल नदी में घडियाल आबाद
Posted on 24 Jul, 2009 08:09 AM

वन्य जीव प्रेमियों के लिए चंबल क्षेत्र से एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। किसी अज्ञात बीमारी के चलते बड़ी संख्या में हुई डायनाशोर प्रजाति के विलुप्तप्राय घडि़यालों के कुनबे में सैकड़ों की संख्या में इजाफा हो गया है। अपने प्रजनन काल में घडि़यालों के बच्चे जिस बड़ी संख्या में चंबल सेंचुरी क्षेत्र में नजर आ रहे हैं वहीं चंबल सेंचुरी क्षेत्र के अधिकारियों की अनदेखी से घडि़यालों के इन नवजात बच्चों क
इटावा का पानी
Posted on 24 Jul, 2009 07:43 AM
जल निगम द्वारा कराई गई पानी की जांच में यह भी सामने आया है कि जनपद के अन्य ब्लाकों में ताखा ब्लाक के ग्राम रौरा में 1-92, महेवा ब्लाक के अहेरीपुर में 1-8 मिग्रा फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है। इसके साथ ही जसवंतनगर ब्लाक के ही ग्राम शाहजहांपुर में 1-6, दर्शनपुरा में 1-8, खनाबाग में 1-6, ताखा ब्लाक के ग्राम नगला ढकाउ में 1-8 मिग्रा, नगला कले में 1-6, भर्थना ब्लाक के ग्राम हरनारायणपुर में फ्लोराइड की मात्रा 1-6 मिग्रा, लीटर पाई गई है जो निर्धातिर मानकों से काफी अधिक है।मौसम में लगातार हो रहे असंतुलन ने भूजल को बुरी तरह प्रदूषित किया है. पीने के लिए सरकार द्वारा लगवाए गए हैंडपंपों के पानी में जिस प्रकार से रसायनिक अवयवों का संतुलन बिगड़ा है, उससे यह पानी स्वास्थय पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य जल निगम की इटावा शाखा द्वारा पेयजल के लिए गए नमूनों में जिस प्रकार से पेयजल के अवयवों में फ्लोराइड आयरन एवं नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाने से यह पानी लोगों की अपंगता का कारण बनता जा रहा है।

वहीं नाइट्रेट की बढ़ी मात्रा तो बच्चों की मौत का कारण तक बन जाती है। आश्चर्यजनक यह है कि पेयजल के लिए गए नमूनों के बाद शोधकर्ताओं ने साफ किया कि पानी के अवयवों का संतुलन नहीं बनाया जा सकता है और इसका एकमात्र उपाय यही है कि पेयजल की आपूर्ति पानी की टंकी के माध्यम से की जाए।

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