अरुण कमल

अरुण कमल
एक रात घाट पर
Posted on 28 Oct, 2013 04:20 PM
सूर्य डूब रहा है।

भारी है पश्चिम स्थान
सूर्य डूब रहा है।

धीरे-धीरे शाखों के बीच
पत्तों के बीच
जल और धरती आसमान के बीच
एक-एक आदमी के बीच
भर रहा है अंधकार
सारा संसार अंधकार की कसी गिरह।

ठंडक बढ़ रही है धीरे-धीरे
गर्दन सिहराती
उठती है हवा कभी-कभी
जल के तल को झुकाती उठाती,
मलकती है नदी।
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