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वर्ल्ड बैंक निबंध प्रतियोगिता
Posted on 21 Feb, 2009 10:37 AM
जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। वैज्ञानिकों ने भी विश्व स्तर पर यह सिद्ध कर दिया है कि औद्योगिक क्रियाओं के कारण ग्रीनहाउस गैंसों के उत्सर्जन से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा दिन ब दिन बढ़ रहा है।
इन सब समस्याओं का समाधान है-ग्रीन इकोनोमी, पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाउ उद्यम, नई तकनीकें जैसे- ऊर्जा के नए स्रोत, अक्षय उर्जा आदि..... युवाओं का इसमें सहयोग कैसे हो सकता है?
6 वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
Posted on 13 Feb, 2009 01:20 PM
’अपशिष्ट मुद्दे पर सहयोग’ 8-9 अप्रैल, 2009
खार्किव, यूक्रेन
आयोजित द्वाराः

इंडिपेंडेंट एजेंसी फॉर इंवायरमेंटल इंफोरमेशन (एनजीओ इकोफोर्म)
नेशनल टेक्निकल यूनिवर्सिटी” खार्किव पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट “इकॅलॉजिकल एलाइंस, लिमिटेड

सम्पर्क करें-world_of_waste@mail.ru

ecoinvest@vl.kharkov.ua
वर्ल्ड वाटर फोरम
Posted on 13 Feb, 2009 10:03 AM
5 वीं ‘वर्ल्ड वाटर फोरम’ इस्तांबुल, तुर्की में 16 से 22 मार्च 2009 को आयोजित किया जाएगा।

फोकस: तृतीय ‘चिल्ड्रन वर्ल्ड वाटर फोरम’

12-17 मार्च 2009
स्लिपेज ऑफ वाश सर्विसेस पर कार्यशाला
Posted on 12 Feb, 2009 03:35 PM

स्लिपेज ऑफ वाश सर्विसेस पर कार्यशाला का आयोजन



कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्लिपेज ऑफ वाश सर्विसेस चुनौती के कारणों और हद का आंकलन करना और मुख्य कारणों को समझना है। दूसरे कार्यशाला का उद्देश्य वाश स्लिपेज चैलेंज पर की गई कार्यशालाओं और अनुसंधानों के परिणामों को बांटना है।

सम्पर्कः slippage-workshop-2009@googlegroups.com
- स्थान:
वाटर सम्मिट – 2009
Posted on 10 Feb, 2009 03:39 PM
वाटर सम्मिट – 2009,(जल शिखर सम्मेलन) कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर-263145 जिला-ऊधम सिंह नगर, ऊत्तराखंड के द्वारा आयोजित किया जा रहा है। शिखर सम्मेलन 19-21, फ़रवरी 2009 से आयोजित किया जा रहा है।
जल प्रबंधन पर भागीदारी दृष्टिकोण
Posted on 03 Feb, 2009 10:14 AM
पेपर के लिए आवाह्न-

जल संसाधनों के प्रबंधन पर भागीदारी दृष्टिकोण पर परिसंवाद (Seminar-‘Participatory Approach in water resource management’)
मार्च-19-20, 2009, नई दिल्ली, काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट(फिरदौस फातिमा रिज़वी, काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, नई दिल्ली की ओर से)
सफाई की मुहिम
Posted on 28 Jan, 2009 09:22 AM
प्रयाग शुक्ल
मुंबई जैसे महानगर की लकदक छवियां, और जगह-जगह बिखरी गंदगी, एक -दूसरी को मुंह चिढ़ाती हैं। आगरा, जहां ताजमहल है, वहां का हाल तो बेहद चौंकाने वाला है।
पिछले कुछ वर्षों में हमारे नगरों-महानगरों में नई चाल की बहुतेरी चीजें आ गई हैं : लकदक मॉल, शॉपिंग सेंटर और शोरूम खुले हैं। कुछ महानगरों में मेट्रो (रेल) पर काम चल रहा है। खान-पान के रेस्तरां-होटल भी बड़ी तादाद में चारों ओर देखे जा सकते हैं। पेट्रोल पंपों को नया रूप मिला है। पर, इन्हीं के बीच गंदगी या कूड़े के ढेर भी बढ़े हैं।
गंगा सामान्य नहीं-होगा सर्वनाश
Posted on 27 Jan, 2009 09:45 AM

डा. जी डी अग्रवाल के आमरण अनशन का 12 वां दिन
डॉ अग्रवाल और गोपाल मणि जीउच्चस्तरीय समिति के एक और सदस्य ने दिया इस्तिफा

कैसे मरने दें गंगा को
Posted on 25 Jan, 2009 08:50 AM
जब हरिद्वार में ही गंगा जल आचमन के योग्य नहीं रहा, तो इलाहाबाद और वाराणसी का क्या कहना
- स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती


अनेक वर्षों से मैं माघ मास की मौनी अमावस्या के पर्व पर प्रयाग जाता रहा हूं। कुछ वर्ष पूर्व जब मैं माघ मेले के अपने शिविर में जा रहा था, तब अनेक महात्माओं, कल्पवासियों एवं पुरी के शंकराचार्य जी आदि ने मुझे बताया कि गंगा की धारा अत्यंत क्षीण हो गई है और उसका जल लाल दिखाई दे रहा है। मुझे भी ले जाकर गंगा की वह स्थिति दिखाई गई। मैंने जब लोगों से गंगा की इस दुर्दशा का कारण जानना चाहा, तो पता चला कि गंगोत्री से नरौरा तक गंगा जी को कई स्थानों पर बांध दिया गया है, जिसके कारण हिमालय का यह पवित्र जल कई स्थानों पर ठहर कर सड़ रहा है, और जो जल दिखाई दे रहा है,
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