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मध्यकालीन भारत में सिंचाई
Posted on 16 Sep, 2008 08:48 AMमध्यकालीन भारत में आप्लावन नहरों के निर्माण में तेज प्रगति की गई। नदियों पर बांधों का निर्माण करके पानी को अवरुद्ध किया गया। ऐसा करने से पानी का स्तर ऊंचा उठ गया और खेतों तक पानी ले जाने के लिए नहरों का निर्माण किया गया। इन बांधों का निर्माण राज्य और निजी स्रोतों--दोनों द्वारा किया गया। गियासुद्दीन तुगलक (1220-1250) को ऐसा पहला शासक होने का गौरव प्राप्त है जिसने नहरें खोदने को प्रोत्साहन दिया। तथारिसाव तालाब (Percolation Tank)
Posted on 16 Sep, 2008 08:47 AMरिसाव: रिसाव तालाबों का निर्माण वर्षाजल को तीब्रगति से भूगर्भ में भेजने के उद्देश्यों से किया जाता है। रिसाव तालाबों का निर्माण ऐसे स्थान पर किया जाता है जहां कि मिट्टी रेतली हो तथा उसमें वर्षाजल का रिसाव तेज हो। ऐसे तालाबें की गहराई कम तथा फैलाव ज्यादा रखा जाता है जिससे वर्षाजल रिसाव के लिये ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र मिल सके। रिसाव तालाब सामान्यता अपवाह क्षेत्र (Catchment) से प्राप्त अपवाह (Run
सिंचाई विकास का इतिहास
Posted on 16 Sep, 2008 08:42 AMभारत में सिंचाई विकास का इतिहास प्रागैतिहासिक समय से शुरू होता है। वेदों और प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों में कुओं, नहरों, तालाबों और बांधों का उल्लेख मिलता है जो कि समुदाय के लिए उपयोगी होते थे और उनका कुशल संचालन तथा अनुरक्षण राज्य की जिम्मेदारी होती थी। सम्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ था और जीवित रहने के लिए उन्होंने पानी का लाभ उठाया। प्राचीन भारतीय लेखकों के अनुसार कोई कुआं या तालाब खो
जल विपथक (Water Diversion)
Posted on 16 Sep, 2008 08:38 AMजल विपथकों का निर्माण वर्षा अपवाह को सुरक्षित गंतव्य जैसे कि संग्रहक तालाबों-बंधों इत्यादि तक पहुंचाना है। एक आदर्श जल विपथक मृदा एंव जल संरक्षण के साथ साथ अधिकाधिक वर्षाजल संग्रहण में सहायक होना चाहिए । गैवियन संरचनाओं का सफलतापूर्वक नदी नालों के तीव्र गति के अपवाह को मोड़कर किनारों को कटाव से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।सिंचाई की संस्थानगत व्यवस्थाएं
Posted on 16 Sep, 2008 08:34 AMकेन्द्रीय सरकार पर एक राष्ट्रीय संसाधन के रूप में जल के विकास, संरक्षण और प्रबन्ध के लिए अर्थात जल संसाधन विकास और सिंचाई, बहुद्देश्यीय परियोजनाओं, भूजल अन्वेषण तथा दोहन, कमान क्षेत्र विकास, जल निकास, बाढ़ नियंत्रण, जलग्रस्तता, समुद्र कटाव समस्याओं, बांध सुरक्षा तथा नौसंचालन और जल विद्युत के लिए जल वैज्ञानिक संरचनाओं के सम्बन्ध में राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के निमित्त सामान्य नीति के लिजल संचय बांध / ठहराव बांध
Posted on 16 Sep, 2008 08:27 AMअन्य बंधों की तरह इन बंधों का भी प्रमुख कार्य वर्षाजल अपवाह वेग को रोकना, भूक्षरण का निंयत्रण एंव भूजल स्तर को बढ़ाना होता है। इन बंधों के उपर अपवाह जल का संचय करके विभिन्न कार्यो के लिये प्रयोग किया जाता है।गली नियंत्रण संरचनाएं/ रोक बांध/ बंधारे/ चेक डैम
Posted on 16 Sep, 2008 07:17 AMये संरचनाएं अपवाह वेग नियंत्रण, जल धाराओं का जल संग्रहण, मृदा अपरदन को रोकने में प्रयुक्त होती है। प्रमुखतया गली निंयत्रण की निम्नलिखित संरचनाएं प्रयोग में लाई जाती है। चेकडैम से कठोर चट्टानी क्षेत्रों में भी मौजूद रोक बांधों से भी जल का संग्रहण किया जा सकता है, लेकिन इसमें एक खतरा यह होता है कि इनका सतह फैला होने के कारण काफी जल वाष्पित हो जाता है। रोक ब
तालाबों में खोदा जाएगा रिचार्ज वेल (इंजेक्शन वेल)
Posted on 15 Sep, 2008 06:19 PMक्या है 'रिचार्ज वेल' / 'रिचार्ज वेल' दो प्रकार के हो सकते हैं -- ( क ) इंजेक्शन कुंआ- जिसमें पानी को पुनर्भरण के लिए अंदर डाला जाता है और ( ख ) रिचार्ज कुंआ जिसमें पानी गुरुत्व के प्रवाह बहता है।इंजेक्शन कुएं ट्यूबवेल के समान है .
पानी संग्रहण की परंपरागत पहाड़ी विधियां
Posted on 15 Sep, 2008 04:28 PMपरम्परागत विधिया टिकाऊ और कम खर्चीली तो हैं ही साथ ही साथ हमारे वातावरण के लिये भी अनुकूल हैं। इनको संचालित करने के लिये किसी भी तरह की ऊर्
पीने योग्य जल के भारतीय मानक
Posted on 15 Sep, 2008 10:53 AMहम इंसान इतने कम उपलब्ध जल के स्त्रोतों का इस तरह से दोहन कर रहे हैं की जल्द ही हमारे सामने जल संकट अपने विकरालतम रूप में मौजूद होगा। हमारे उपयोग का लगभग सारा जल नदियों, झीलों या भूमिगत स्त्रोतों से आता है। हम न सिर्फ़ जल का उपयोग करते हैं, बल्कि उसे प्रदूषित भी करते हैं। इस तरह हम दोधारी तलवार से अपने जीवनदाता पर वार कर रहे हैं।